सुषमा स्वराज: एक युग

ओजस्वी एवं प्रखर वक्ता, मौजूदा सियासत का सबसे सौम्य और ममतामयी चेहरा ओझल हो गया। उनकी आवाज़, उनकी चमक, उनकी वो मुस्कुराहट हमेशा हमारे दिलों में रहेगी। कुशल प्रशासक, उत्कृष्ट राजनेता, सुपर मॉम और संवेदनशील नेता थी, सुषमा स्वराज जी। चाहे सत्ता पक्ष की मंत्री के रूप में हो या प्रतिपक्ष अथवा राज्यसभा की नेता के रूप में उन्होंने सजग एवम् प्रखर रूप से सदन में अपनी बात हमेशा रखी।  राजनीति के हर पहलू को बहुत ही बेहतरी से समझती थी।  
उनके किर्तिमान एवम् उपलब्धियों को शब्दों में व्यक्त करना जरा मुश्किल सा है। 

बचपन से ही उनमें देश सेवा का जो जज्बा था उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वो तीन साल तक NCC की सर्वश्रेष्ठ कैडेट चुनी गई, आउटस्टैंडिंग संसदीय सम्मान पाने वाली पहली महिला बनी, स्वराज जी भारत की किसी भी राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी की पहली महिला प्रवक्ता बनी साथ ही साथ दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री, किन्तु सफर यही नहीं थमा और आगे चल कर ये पहली पूर्णकालिक महिला विदेश मंत्री बनी। 
वो ना केवल एक प्रखर विदेश मंत्री के रूप में जानी जाएगी, ना केवल एक महिला नेता जिन्होंने भारतीय राजनीति में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया उसके लिए याद की जाएगी, बल्कि उन्हें उनकी ओजस्वी वाणी, कर्मठता, कार्यकुशलता एवम् दूरदर्शिता के लिए हमेशा याद किया जाएगा। 
ना केवल एक बार अपितु कई ऐसे मौके आए है जहां उन्होंने अपनी व्यक्तित्व कला से हमें यह एहसास दिलाया कि क्यों आज सारा देश उन्हें याद कर रहा है और आंसू बहा रहा है। 
याद आता है जब संसद में वो विपक्ष की नेता थी और शायराना अंदाज़ में उन्होंने सतापक्ष के नेतृत्व पे बेझिजक सवाल उठाए।
"तू इधर उधर की ना बात कर, ये बता की काफिला क्यों लूटा, 
मुझे रहजनों से गिला नहीं, तेरी रहबरी का सवाल है"

वो अंदाज़ निराला था, उनकी उर्दू पर पकड़ थी, उनकी संस्कृत पर भी हिंदी जैसी पकड़ थी, अपनी विचारधारा पे हमेशा अडिग रही।  
ये उनकी वक्तव्य शैली ही थी के बेलारी चुनावी अभियान में उन्होंने कर्नाटक के लोगो का दिल जीत लिया और महज एक महीने में कन्नड़ सीख ली थी। 

सुषमा जी ना केवल अपनी वाक शैली या नेतृत्व क्षमता की वजह से लोकप्रिय रही बल्कि देश दुनिया में लोगो की मदद करने की अनंतिम कोशिशों के कारण वह आजीवन लोगो के दिलों पे राज करती रहेंगी,

जब छ: साल तक पाकिस्तान की जेल में बंद रहा था भारतीय इंजीनियर हामिद अंसारी और जब 2018 में सुषमा जी के अथक प्रयासों से भारत लौटे हामिद ने स्वराज जी से बात की तो भावुक होकर कहा "मेरा भारत महान, मेरी मैडम महान" सब मैडम ने ही किया है। 
वो सुषमा जी ही थी जिन्होंने पाकिस्तान में जबरदस्ती शादी के बंधन में बंधी भारतीय महिला उज्मा अहमद को वतन वापिस लाने में काफी मदद की। 
जब कैप्टन तुषार महाजन शहीद हुए, उनके भाई निखिल महाजन को तत्काल भारत पहुंचना था और वो वाशिंगटन में लंबी प्रक्रिया में उलझे थे, तब सुषमा जी ने फिर साबित किया की क्यों उनमें लोग एक नेता बाद मे और एक मां पहले देखते हैं। 
राजस्थान की बाड़मेर जिले की रेशमा के पाकिस्तान में निधन के बाद उन्होंने हस्तक्षेप करते हुए ना केवल मुनाबाव बॉर्डर का गेट खुलवाया बल्कि रेशमा का जनाजा राजस्थान में लाकर उसी के गांव की मिट्टी में सुपुर्द ए ख़ाक किया गया।
उनकी मदद की वजह से ही किसी की यमन और लीबिया से वतन वापसी हुई तो कोई अपने बच्चे का इलाज कराने में सफल हुआ। स्वराज जी की कार्यशैली उनकी पहचान बताती हैं, उनके इसी सरल स्वभाव और व्यक्तित्व के सभी लोग कायल थे। 
उनके विदेश मंत्री रहते हुए किए गए काम इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं एवम् राजनीतिक जीवन में रहते हुए उन्होंने जो एक लकीर खींच दी है उस तक पहुंच पाना आज के समय में संभव नहीं है। 

उन्होंने भारतीय राजनीति में एक नया मापदंड स्थापित किया है, उनका यकायक इस तरह हम सबको छोर कर चले जाना ना केवल राष्ट्र के लिए अपितु मेरे लिए भी भारी एवम् अपूरणीय क्षति हैं, 
ईश्वर उनके परिजनों, सहयोगियों को ये दुख सहने का संबल प्रदान करे। 
मैने अटल जी के बाद आज एक और प्रेरणास्त्रोत को खो दिया।

"बिछड़ा कुछ इस अदा से की रुत ही बदल गई,
  एक शक्स सारे शहर को वीरान कर गया।"

अश्रुपूरित श्रद्धांजलि। 


कृतिका 

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